Friday, 3 August 2012

MAKBARA - Nagraj Comics Free Download

MAKBARA
Format: Printed
Issue No: SPCL-2500-H
Language: Hindi
Author: Nitin Mishra
Penciler: Hemant
Inker: Jagdish kumar, Vinod Kumar
Colorist: Shadab Siddiqui
Pages: 80
मकबरा-2500 मकबरे से निकला श्रृष्टि और भगवान सूर्य को अपने क़दमों में झुकाने की मंशा ले कर एक भयानक शैतान! भगवान का संदेशा आया कि दुनिया को इस खतरे से अगर कोई बचा सकता है तो वो हैं गगन, विनाश्दूत और नागराज!
Rs 50.00
Rs 42.50
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SWAPNA CHOR - Bankelal Comics Free Download

SWAPNA CHOR
Format: Printed
Issue No: SPCL-2498-H
Language: Hindi
Author: Tarun Kumar Wahi, Vishal Row M
Penciler: Sushant Panda
Inker: Sushant Panda
Colorist: Basant Panda
Pages: 48
स्वप्न चोर-2498 वो बुड्ढा अपने यंत्र से चुरा लेता था किसी के भी स्वप्न! उस शातिर ने चुरा लिया बांकेलाल का स्वप्न! अब बांकेलाल को विक्रमसिंह को मार कर राजा बनने की इच्छा नहीं रही! आज बुरी तरह तड़प रहा है बांकेलाल और बुड्ढा कर रहा है बांकेलाल को अपना काम करवाने के लिए मजबूर!
Rs 30.00
Rs 25.50
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DOGA DIARIES 3 - Doga Comics Free Download

DOGA DIARIES 3
Format: Printed
Issue No: SPCL-2496-H
Language: Hindi
Author: Tarun Kumar Wahi, Anurag Kumar S
Penciler: Lalit Sharma, Harshvardhan Kadam
Inker: Sushant Panda, Sagar Thapa
Colorist: Shadab Siddiqui, Mohan Prabhu, I
Pages: 80
डोगा डायरीज-3-2496 डोगा करने निकला है शिकार! अब मुजरिमों को नहीं मिलेगी कहीं पनाह! उनको भागने के लिए अब जमीन कम पड़ेगी ! पढ़िए डोगा के आठ शिकारी किस्से!
Rs 50.00
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SHOW STOPPER - Dhruv Comics Free Download

SHOW STOPPER
Format: Printed
Issue No: SPCL-2495-H
Language: Hindi
Author: Nitin Mishra
Penciler: Hemant
Inker: Vinod Kumar
Colorist: Mohan Prabhu
Pages: 64
शो स्टॉपर- 2495 आज तक वो अपने आप को सुपर कमांडो ध्रुव समझता रहा जबकि वो हमेशा से ही था शो स्टॉपर ध्रुव!
Rs 40.00
Rs 34.00
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DOGA DIGEST 9 - Doga Comics Free Download

DOGA DIGEST 9
Format: Printed
Issue No: DGST-0079-H
Language: Hindi
Author: Sanjay Gupta, Tarun Kumar Wahi
Penciler: Manu
Inker: N/A
Colorist: N/A
Pages: 192
चीख डोगा चीख-0683 चौकीदारी और वफादारी की मिसाल कुत्ते की शक्ल धारण कर लेब्रा कर रहा था कुतों का ही बेदर्दी से क़त्ल! और अचानक मुम्बई में बढ़ गई चोरियां! जब डोगा ने इसके खिलाफ अपनी बंदूक उठाई तो उन दरिंदों ने डोगा को कर दिया बेबस और अब उनकी एक ही चाहत है कि चीख डोगा चीख! क्या उनकी चाहत पूरी हुई? लोमड़ी-0692 डोगा के पीछे पड़ गई है एक चालाक लोमड़ी जो उसे सलाखों के पीछे पहुंचाने की ख्वाहिशमंद है और डोगा पीछे पड़ा है लेब्रा के जो कुत्तों को नृशंसता से कत्ल करके किए जा रहा है चोरियां! क्या होगा इस टकराव का अंजाम? क्या डोगा रोकेगा लेब्रा के पागलपन को या डोगा को बेनकाब कर देगी चालाक लोमड़ी! काली विधवा-0712 दहेज की बलिवेदी पर चढ़ी एक विवाहिता को इंसाफ दिलाने डोगा पहुंचा काले बॉस की कोठी में जहां उसका सामना हुआ मर्दों से बेइंतिहा नफरत करने वाली काली विधवा से जिसका निशाना था काले बॉस! लेकिन गलफहमीवश दोनों एक दूसरे से टकरा गए! तो आखिर क्या हुआ इस खूनी टकराव का अंजाम? खराब कानून-0717 अपनी बीवी को जिन्दा जलाने वाले काले बॉस के पीछे पड़े डोगा को एक नई जिंदगी देकर निकल गई काली विधवा! इधर सूरज की जिंदगी में भी खुशी की बयार लेकर आई एक लड़की सोनिका! जिसे देख कर सूरज को याद आ गई उसकी सोनू! अब मोनिका का क्या होगा जो उसके प्यार में दीवानी बनी बैठी है! I Love U-0072 सूरज को मिल गई उसकी सोनिका यानी उसकी सोनू! कुदरत ने जिसके माथे से सुहाग का सिंदूर नोच दिया था! सूरज उसकी जिंदगी में फिर से ताजे गुलाब की तरह शामिल हुआ कहने को आई लव यू!
Rs 100.00
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BANKELAL DIGEST 12 - Bankelal Comics Free Download

BANKELAL DIGEST 12
Format: Printed
Issue No: DGST-0078-H
Language: Hindi
Author: Tarun Kumar Wahi
Penciler: Bedi
Inker: N/A
Colorist: N/A
Pages: 192
बांकेलाल और कोढ़ी राजा-0562 विक्रमसिंह और बांकेलाल जा फंसे देवी आम्रपाली के जाल में जो लोगों को जबरदस्ती अमरता की दवाई पिला कर अमर कर देती थी! परन्तु अमर होने का मतलब था एक अनंत बुढ़ापे को झेलना! इसलिए दोनों जान बचा के भागे और जा फंसे कोढ़ी राजा के चक्कर में जो उन दोनों को समझ रहा था डाकुओं का साथी! अब क्या करेंगे विक्रम और बांके क्योंकि इधर कुआं है उधर खाई! बांकेलाल का बदला-0571 विशालगढ़ की तरफ बढ़ते बांकेलाल का अचानक विक्रमसिंह से छूट गया पीछा! प्रसन्न बांके खुशी से नाच उठा! मगर उसके बाद एक के बाद हुई उसकी फजीहत! और अंततः उसे फिंकवा दिया गया सिंहों की घाटी में! बस फिर क्या था बांके की बोदी खड़ी हो गई और वो चल दिया अपनी बेइज्जती का बदला लेने! पर इस बार वो अकेला नहीं था! उसके साथ थी पूरी सिंहों की टोली जो उसके इशारे पर कुछ भी करने को तैयार थी! जादू की झील-0581 विशालगढ़ की तलाश में भटकते विक्रमसिंह और बांकेलाल पहुंचे एक झील के पास जहाँ बांके ने किया जी भर कर स्नान! मगर वो झील थी मगरमच्छों से भरी हुई! बस फिर क्या था बांकेलाल ने अपनी जान तो बचा ली पर विक्रमसिंह को भेज दिया उस झील में स्नान करने को! और बेचारे विक्रमसिंह को मगरमच्छ घसीट कर ले गए! विक्रमसिंह से पीछा छुड़ा कर बांके पहुंचा एक नए नगर में! जहां उसमें आ गई एक चमत्कारी शक्ति वो जिस भी धातु को छूता वो बन जाता सोना! आखिर ये हुआ कैसे? बांकेलाल की ताकत-0592 बांकेलाल की किस्मत से इस बार उसे मिल गया ताकत का वृक्ष! जिसके फलों के सेवन करके वो बन गया ताकतवर लेकिन साथ ही उसे मिल गया एक श्राप भी कि वो उपर से तो ताकतवर दिखेगा पर अंदर से पिलपिला ही रहेगा! इस श्राप से अंजान बांके को मिला भारोतोलन प्रतियोगिता में भाग लेने का आमंत्रण! मिथ्या शक्ति के मद में चूर बांके ने इस प्रतियोगिता में भाग लेना कर लिया स्वीकार! तो क्या हुआ इस प्रतियोगिता का परिणाम? बेचारा बांकेलाल-0606 बांकेलाल और विक्रमसिंह को मिला एक चमत्कारी मुखौटा! बांकेलाल ने उसे बेकार की चीज समझ कर फेंक दिया मगर विक्रमसिंह ने जैसे ही उसे धारण किया वो मुखौटा उससे चिपक गया और बदल गई विक्रमसिंह की सूरत और उसमें आ गई असीमित शक्तियां! और बांकेलाल बेचारा मुंह ताकता रह गया! फिर क्या हुआ बेचारे बांकेलाल का? बांकेलाल और विक्रमसिंह-0613 विशालगढ़ की तलाश में भटकते बांकेलाल और विक्रमसिंह जा पहुंचे बुराड़ी नगर जहां उनका हुआ भव्य स्वागत! वहां के राजा बुढऊ ने बांके या विक्रम में से किसी एक को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने की घोषणा की! राजा बुढउ के कहने पर खुद को योग्य उत्तराधिकारी साबित करने विक्रम चल पड़ा सूरमा घाटी से खजाना लेने! पर भला बांके अपने सामने विक्रम को कैसे बनने देता राजा! विक्रम को मौत के जाल में फंसा कर बांके खुद जा पहुंचा सूरमा घाटी जहां खजाने की जगह उसे मिला राक्षस ‘बे’ जो लेना चाहता था उसकी बलि! अब क्या होगा बांकेलाल का?
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