BANKELAL DIGEST 9 |
Format: Printed |
Issue No: DGST-0066-H |
Language: Hindi |
Author: Tarun Kumar Wahi |
Penciler: Bedi |
Inker: N/A |
Colorist: N/A |
Pages: 96 |
बांकेलाल ततैया लोक में-# 373 कंकड़ बाबा का शाप भुगत रहे विक्रम और बांके इस बार आ पहुंचे ततैयालोक में जहां बांके को अपराधी समझ कर कर लिया जाता है गिरफ्तार और फेंक दिया जाता है राक्षस हुहुहाहा के कुएं में उसका भोजन बनने को! लेकिन धूर्त बांके ऐसा षड्यंत्र रचता है कि सारे ततैयालोक पर ही मंडराने लगते हैं संकट के बादल! क्या बांके के षड्यंत्रों के डंक से बच सके ततैये? आदमखोर उंगली-# 384 कंकड़ बाबा का शाप भुगत रहे विक्रम और बांके इस बार आ पहुंचे पक्षीलोक में तोता बनकर, जहां एक गिरगिट ने निगल लिया विक्रम को! इससे पहले कि वो तोता बने बांके को भी निगल जाता बांके हो गया गायब और पहुँच गया गिरगिटलोक में जहां उसका सामना हुआ आदमखोर उंगली से! क्या बांके आदमखोर उंगली से बच पाया? क्या विक्रमसिंह सचमुच मारा गया? बांकेलाल और नरभक्षी लुटेरे-# 396 कंकड़ बाबा का शाप भुगत रहे बांकेलाल और राजा विक्रम सिंह इसबार पहंुचे गजलोक में जहां दोनों बन चुके थे गज यानी हाथी। गज लोक में मच्छरलोक के मच्छर दानवों ने मचा रखा था कोहराम हर कोई उनके डंक के कारण मलोरा ज्वर से पीड़ित था। विक्रम सिंह भी रोग ग्रस्त हो गया। अब रोगी थे कई और दवा की पुड़िया भी एक। अर्थात एक अनार सौ बिमार। पुड़िया बांके लाल छपट भागा और इसी भागम भाग में पुड़िया झील में घुल गई। तो क्या अब गए सब काम से? |
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Thursday, 23 February 2012
BANKELAL DIGEST 9 Read Online
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